Monday, 21 April 2025

*ई रिक्शा पर ही गाज क्यूं जबकि जनपद से होकर गुजरने वाली दर्जनों डग्गामार बसों की भी भरमार*

 


प्राइम भारत न्यूज

News desk- Rishabh Saini 


*100 ई रिक्शा से 30 हजार प्रतिमाह तक तो 5-6 हजार से हो सकने वाली संभावित लाखों की कमाई कहीं टार्गेट तो नही?*

बाराबंकी। हम नहीं सुधरेंगे की दौड़ में केवल देश की न्यायिक व्यवस्था ही डॉ अम्बेडकर द्वारा बनाए दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के संविधान का माखौल नहीं उड़ा रही बल्कि अब न्यायिक व्यवस्थाओं की शह पर कार्यपालिका के भी तमाम अंग बेलगाम गरीबों का खुलेआम उत्पीड़न कर रहे हैं बजाए कोई साफ- सुथरी व्यवस्था नई व्यवस्था के सापेक्ष कायम करने के। बताते चलें जानकारी अनुसार जनपद में ई रिक्शा की कुल संख्या 5-6 हजार के बीच है। जिसमें कुछ ने रिक्शा चलाकर नए नए आए ई रिक्शा में तत्कालीन व्यवस्था में कोई रजिस्ट्रेशन ना होने की बात पर अपनी खून पसीने व पेट काट कर बचाई कमाई लगाकर लोन पर ई रिक्शा खरीदा और परिवार पाल रहे थे। लेकिन जनपद की परजीवी व्यवस्था जो भ्रष्टाचार की प्रयाय है यानी वसूली भाई जो डग्गामार वाहनों से ठेलों से यूनियन की आड़ में प्रति माह लाखों मिलीी कर सूत्रों की मानें तो 50-50 प्रतिशत भ्रष्टाचारी प्रशासन पुलिस से मिलीभगर सामानांतर असंवैधानिक व्यवस्थाएं चालित हैं। जिन्होंने कई बार रेलवे स्टेशन सहित अन्य स्थानों पप ई रिक्शा वालों से वसूली का प्रयास भी किया था लेकिन मीडिया रिपोर्ट पर रायता फैलते देख मामला बैकफुट पर गया। तो इस बार टेर्रर फैलाने में जाम के नाम पर ई रिक्शा को सीज करना व चालान का जो अभियान के नाम पर नया ड्रामा चालू हुआ है उसके पीछे जहां हर महीने लाखों की कमाई का लॉलीपॉप पूरे सिस्टम को नीचे से उपर ऐसी राक्षसी मृगतृष्णा में जकड़ी नजर आ रही है कि उन्हे 4- 5 हजार मजदूरी के नाम पर ई रिक्शा चला संघर्ष कर परिवार पाल रहे लोगों की परेशानी नजर नहीं आ रही। 


( इनसेट )


*कैसे ई रिक्शा मालिक चुकाएं लोन प्रशासनिक हिटलरशाही में बड़ा सवाल*

बाराबंकी। बताते चले कि 1.5 से 3-4 लाख तक मिलने वाले ई रिक्शा वालों को चालक रोजाना जो किराए के नाम पर चालक देता है वो 3-4 सौ रुपए बैंक लोन चनकाने भर में कभी कभी पूरे नहीं पड़ते। तो चालक को भी 2-3 सौ ही सब काटकर कभी कभी ही बचते हैं। वो भी रोज नहीं कभी तबीयत खराब तो कभी चार्चिंग प्राब्लम। यानी महीने के 7-8 हजार रुपए भी मुश्किल से बचते हैं। उसमें घर चलाएं बच्चों को पढ़ाएं या दो टाईम भोजन की व्यवस्था कर ले बड़ी दिक्कत का काम है। घर के बच्चों को भी होटवों पर बर्तन मांजने पड़ते हैं और घर की लक्ष्मियों को दूसरे के घरों में चौका बर्तन करना पड़ता है तब जाकर कोई एक आध बच्चा पढ़ पाता है। जो भ्रष्टाचार की रोटी तोड़ रहे ई रिक्शा की कमाई में गिद्ध दृष्टि जमाए सफेदपोश जिम्मेदार अधिकारियों को नजर नहीं आ रहा। चूकि शास्त्रों में उद्धृत है कि 'जैसा अन्न वैसा मन'। कुछ ऐसे ई रिक्शा वाले भी हैं जिनकी मजबूरी ने उन्हें साहूकारों से कर्जा लेने पर मजबूर कर दिया। अब उनकी तो पूरी कमाई ही साहूकार का कर्जा पाटने में जा रहीं हैं। लेकिन इन  जनता की मेहनत की कमाई के दिए टैक्स से मिल रहे लाखों रुपए तनख्वाह लील रहे एसी मे ऐश कर रहे नौकरशाहों को नजर नहीं आ रहा। गरीब जनता जिसकी जिम्मेदारी इनके सर है व जिए चाहे मरे इनका क्या? ना तो जनता के मरने परेशान होने पर इनकी नौकरी जानी है और ना ही ही सजा मिलनी है। जिसका परिणाम है कि समाजसेवियों के सवाल उठाने, ई रिक्शा यूनियन के नाम पर खुले बने संगठन द्वारा एक सैकड़ा ई रिक्शा से प्रति ई रिक्शा 300 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 30 हजार वसूली भी हो गए, जो 4-5 हजार तक ट्रार्गेट एचीव होने तक 12-15 लाख प्रतिमाह की वसूली के दिवा स्वप्न में लगातार सवाल उठने के बावजूद सोमवार को तो हद ही हो गई जो प्रशासन के बड़े अधिकारी भी अभियान में जुट लोकतंत्र को अंग्रेजों द्वारा दिए गुलामी के डण्डे से रौंदते नजल आए। तमाम ई रिक्शा सोमवार को तो सीधे सीज करने की कार्रवाई करते पल्हरी चौराहे पर स्वयं सीओ नजर आए।

 

( इनसेट )

*एआरटीओ एवं सीओ की संयुक्त टीम ने किये  10 ई-रिक्शा सीज, 5 चालान* 

बाराबंकी। शहर में जिम्मेदारों की प्रारम्भिक लापरवाही में जरूरत से ज्यादा हो चुके ई रिक्शा को कम करने के चक्कर में या जो चर्चाओं में है कि प्रति माह प्रति रिक्शा 300 रुपए लाखों रुपए वसूलने के षडयन्त्र में बड़ी घाघ मछलियों यानी डग्गामार बसों ओवरलोड ट्रकों को छोड़ पूरा प्रशासन गरीब ई रिक्शा वालों के उत्पीड़न में नियम कायदे कानून की दुहाई देते बजाए बीच का रास्ता निकालने के अंग्रेजी हुकूमत की तर्ज पर ई रिक्शा दमन अभियान पर सोमवार को भी अनवरत रहा। शहर के व्यस्तम पल्हरी चौराहे पर सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन, प्रवर्तन श्रीमती अंकिता शुक्ला, क्षेत्राधिकारी आलोक पाठक की संयुक्त टीम ने ओवरलोड, बिना पंजीकरण, फिटनेस के संचालन करते मिलने पर 10 ई-रिक्शा को थाना मंड़ी मे बंद किया। तथा अन्य अभियोगो में 5 ई-रिक्शा के चालान किये। इस दौरान यातायात प्रभारी रामयतन यादव समेत परिवहन एवं यातायात स्टाफ मौजूद रहा।

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