प्राइम भारत न्यूज ऋषभ सैनी
प्रशासन की चुप्पी बनी मौत का कारण, मानकों को ताक पर रखकर चल रहा 'काला कारोबार'
बाराबंकी। जनपद में अवैध अस्पतालों की भरमार है, जहाँ न तो प्रशिक्षित स्टाफ है, न ही विशेषज्ञ डॉक्टर। बावजूद इसके गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज इन अस्पतालों में खुलेआम किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो जिले में कई निजी अस्पताल मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए संचालित हो रहे हैं। न परिणाम की परवाह, न ही मरीजों की जान की कीमत—इन अस्पतालों में इलाज के नाम पर मौत का सौदा हो रहा है।
हाल ही में सफदरगंज थाना क्षेत्र के कस्बा रामपुर स्थित 'लाइफ टेक' नामक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान 23 वर्षीय युवक की मौत ने पूरे क्षेत्र में सनसनी फैला दी। मृतक की पहचान मसौली थाना क्षेत्र के ग्राम भौंरा खुर्द निवासी अनुपम शुक्ला पुत्र हरि प्रसाद के रूप में हुई है।
परिजनों के मुताबिक, अनुपम को मामूली बुखार था, जिसे दिखाने के लिए सुबह करीब सात बजे अस्पताल लाया गया। इलाज शुरू होने से पहले ही अस्पताल प्रबंधन ने 20 हजार रुपये की मोटी रकम जमा कराई। इंजेक्शन लगते ही अनुपम की हालत बिगड़ने लगी। माँ गुड़िया शुक्ला ने डॉक्टरों से आग्रह किया कि अगर कोई गंभीर दिक्कत है तो मरीज को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाए, लेकिन डॉक्टरों ने परिजनों को वार्ड से बाहर निकाल दिया। थोड़ी देर बाद दूसरा इंजेक्शन लगते ही अनुपम बेहोश हो गया और कुछ ही मिनटों में उसकी सांसें थम गईं।
इस घटना से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। वहीं, आरोपों से घबराए अस्पताल संचालक और स्टाफ मौके से फरार हो गए। सूचना पाकर थाना अध्यक्ष अमर कुमार चौरसिया फोर्स के साथ मौके पर पहुँचे और परिजनों को शांत कराते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। परिजनों ने पुलिस को तहरीर देकर डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
वायरल हो चुके कई मामले
यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले आस्था अस्पताल में हुई लापरवाही ने खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं, वहीं पल्हरी चौराहे के पास नबीगंज स्थित अनवी अस्पताल और सिंह पेट्रोल पंप के पास गांधी अस्पताल में भी मानकों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं। पार्किंग की कोई उचित व्यवस्था नहीं, बिल्डिंग निर्माण नियमों के खिलाफ और इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी धनराशि वसूली जा रही है।
सवालों के घेरे में प्रशासन
जिले में अवैध अस्पतालों के खिलाफ प्रशासन की चुप्पी अब सवाल खड़े कर रही है। आमजन का कहना है कि यदि समय रहते इन अस्पतालों पर कार्रवाई न की गई तो यह मौत का काला कारोबार यूं ही चलता रहेगा और निर्दोष मरीज लापरवाही की भेंट चढ़ते रहेंगे।