प्राइम भारत न्यूज
न्यूज डेस्क_ ऋषभ सैनी/ उस्मान चौधरी
बाराबंकी। आज के दौर में जहां विश्वास और ईमानदारी पर सवाल उठते हैं, वहीं बाराबंकी ट्रैफिक पुलिस के इंस्पेक्टर रामरतन यादव ने जो मिसाल पेश की, उसने न सिर्फ पुलिस की छवि को निखारा बल्कि इंसानियत में भरोसा भी और मजबूत कर दिया।
लखनऊ के मटियारी निवासी आदित्य किशोर 4 जून को अपने ननिहाल बाराबंकी आए थे। शहर घूमते वक्त वे एक ऑटो में सफर कर रहे थे, लेकिन उतरते समय उनका एक बैग ऑटो में ही छूट गया। इस बैग में उनका कीमती लैपटॉप और कई ज़रूरी दस्तावेज़ मौजूद थे।
घबराए और मायूस आदित्य ने तत्काल बाराबंकी बस स्टॉप स्थित ट्रैफिक कार्यालय जाकर शिकायत दर्ज कराई। जैसे ही यह मामला ट्रैफिक इंस्पेक्टर रामरतन यादव के संज्ञान में आया, उन्होंने इसे एक आम शिकायत नहीं, बल्कि अपनी जिम्मेदारी समझते हुए व्यक्तिगत मिशन बना लिया।
सीसीटीवी फुटेज, ऑटो यूनियन से संपर्क और कड़ी जांच-पड़ताल के बाद तीन दिन की अथक मेहनत रंग लाई—वही ऑटो और वही बैग मिल गया। बैग में रखा हर सामान सुरक्षित था।
जब आदित्य को सूचना मिली कि उनका बैग मिल चुका है, तो उनकी आंखें नम हो गईं। ट्रैफिक ऑफिस पहुंचकर जब उन्हें उनका बैग सौंपा गया, तो उन्होंने भावुक होकर कहा, “मैंने सोचा था अब कुछ नहीं मिलेगा... लेकिन बाराबंकी पुलिस ने मेरा भरोसा लौटा दिया।”
इस सराहनीय कार्य के बाद बाराबंकी की जनता ट्रैफिक इंस्पेक्टर रामरतन यादव और उनकी टीम की खुले दिल से प्रशंसा कर रही है। यह वाकया न सिर्फ ईमानदारी की पहचान है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि वर्दी के पीछे आज भी इंसानियत धड़कती है।
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