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न्यूज डेस्क_ उस्मान चौधरी
बाराबंकी। सरकारी जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल — जिला महिला चिकित्सालय और पुरुष चिकित्सालय — में अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी से मरीजों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है, जिन्हें समय पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल पा रही।
महिला अस्पताल में हर दिन बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं जांच के लिए आती हैं, मगर अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञ न होने के कारण अधिकतर को या तो घंटों इंतजार करना पड़ता है या फिर निराश होकर वापस लौटना पड़ता है। महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. प्रदीप सिंह खुद अल्ट्रासाउंड करने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, मगर एक सीमित समय और संसाधनों में वह केवल लगभग 80से लगभग 90 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड हो जाता है
दूसरी ओर, पुरुष अस्पताल में स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां एकमात्र अल्ट्रासाउंड तकनीशियन प्रशिक्षणरत लड़की है, जो अपनी सुविधा के अनुसार काम करती है और जब चाहे छुट्टी पर चली जाती है। मरीजों को लंबी कतारों और अनिश्चित प्रतीक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय जनता में आक्रोश स्थानीय लोगों और मरीजों में इस लापरवाही को लेकर काफी नाराज़गी है। लोगों का कहना है कि जब जिला स्तर के अस्पतालों में ही बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रहीं, तो फिर छोटे कस्बों और गांवों की हालत का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
अब सवाल यह उठता है कि स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी इस गंभीर समस्या पर कब ध्यान देंगे? क्या बाराबंकी की जनता को यूं ही स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का शिकार होना पड़ेगा?
जनता की मांग है कि तत्काल प्रभाव से योग्य अल्ट्रासाउंड विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए ताकि गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को समय पर उचित जांच और इलाज मिल सके।

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