प्राइम भारत न्यूज
न्यूज डेस्क_ मोहम्मद अहमद
मां की पुकार: “बेटे को तो खो दिया, अब इंसाफ तो दिलाइए...रात भर नगर कोतवाली के बाहर बैठी रही मां, मगर पुलिस रही बेपरवाह
बाराबंकी। प्यार की आड़ में पैसों की भूख ने एक और मासूम की ज़िंदगी निगल ली। बीटेक का छात्र तुषार वर्मा लगातार ब्लैकमेलिंग और धमकियों से इस कदर टूट गया कि उसने अपनी जान दे दी। अंतिम सांसों तक उसने न्याय की गुहार लगाई—अपनी मौत से ठीक पहले एक वीडियो बनाया, जिसमें सीधे-सीधे प्रेमिका आराध्या वर्मा और उसके परिजनों को जिम्मेदार ठहराया। मगर अफ़सोस, वीडियो और आंखों में बेटे की तस्वीर लेकर रात भर थाने के बाहर बैठी मां की फरियाद भी पुलिस के कानों तक नहीं पहुंची। ब्लैकमेलिंग की पराकाष्ठा—30 लाख की मांग, जान से मारने की धमकी मृतक की मां सुषमा वर्मा ने बताया कि उनके बेटे तुषार को प्रेमिका आराध्या वर्मा और उसके पिता सतीश वर्मा समेत परिवार के अन्य सदस्यों ने लगातार फर्जी मुकदमे में फंसाने और बदनाम करने की धमकी दी। पहले डर के मारे 4-5 लाख रुपये दिए भी गए, मगर मांग बढ़ती गई और 30 लाख तक पहुंच गई। वीडियो में दर्ज हैं आख़िरी लफ्ज़—"मुझसे अब और नहीं सहा जाता..."15/16 जुलाई की रात तुषार ने अपनी जान देने से पहले वीडियो रिकॉर्ड किया। वीडियो में उसने कहा कि लगातार हो रही प्रताड़ना और ब्लैकमेलिंग की वजह से वह आत्महत्या कर रहा है। "अगर मैंने कुछ किया तो मेरे पूरे परिवार को खत्म कर देंगे", ये शब्द तुषार ने मरने से पहले कैमरे में दर्ज किए। "कोतवाली में सिर्फ दीवारें सुनी गईं, मां की चीखें नहीं" पोस्टमार्टम के बाद भी जब पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की तो तुषार की मां सुषमा वर्मा आधी रात तक नगर कोतवाली के बाहर बैठी रहीं। हाथ में बेटे की आख़िरी वीडियो की कॉपी और आंखों में आंसुओं का सैलाब था। बार-बार पुलिस से एक ही गुहार—"हमें इंसाफ चाहिए। बेटे की जान के दोषियों को सज़ा दो।" कानून के रखवालों की चुप्पी—न्याय की आस में भटक रहा परिवार, पूरा परिवार ग़म के साथ-साथ अब न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है। दो बहनों का इकलौता भाई तुषार अब इस दुनिया में नहीं रहा। लेकिन सवाल ये है कि जब पीड़िता खुद गवाही के सबूतों के साथ दरवाज़े पर खड़ी हो, तो भी पुलिस FIR दर्ज करने में हिचक क्यों दिखा रही है? क्या पुलिस का यही काम है कि पीड़ित को रात भर थाने के बाहर बैठाए रखे? या फिर अपराधियों की सिफारिशें और दबाव, इंसाफ की राह में दीवार बन रहे हैं? अब समय आ गया है कि ऐसी घटनाओं में त्वरित कार्रवाई हो। वरना हर चुप्पी एक और मां की गोद उजाड़ देगी।

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