प्राइम भारत न्यूज
न्यूज डेस्क_ मोहम्मद अहमद
बाराबंकी। लोकतंत्र में महिलाओं की गरिमा और सम्मान के खिलाफ़ की जा रही अभद्र टिप्पणियों पर अब समाज ने भी सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। बाराबंकी के चर्चित समाजसेवी निहाल अहमद सिद्दीकी ने रविवार को प्राइम भारत संवाददाता मोहम्मद अहमद खास से बातचीत, में करणी सेना के एक पदाधिकारी द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की। सिद्दीकी ने कहा—"जिस समाज में महिलाओं का अपमान खुले मंचों से होने लगे, वहां लोकतंत्र की आत्मा घायल होती है। सांसद बहन इकरा हसन पर की गई अभद्र टिप्पणी न केवल निंदनीय है बल्कि समाज की सोच पर भी सवाल खड़ा करती है।" निहाल अहमद सिद्दीकी ने स्पष्ट कहा कि आज तक किसी सांसद या विधायक ने इकरा हसन के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की, मगर खुद को करणी सेना का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बताने वाले योगेंद्र सिंह राणा ने मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ दीं। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और करणी सेना के शीर्ष नेतृत्व से अपील की कि ऐसे असामाजिक तत्वों पर सख्त कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में कोई भी बहन-बेटी के सम्मान पर उंगली उठाने की हिम्मत न कर सके। “नारी गरिमा पर प्रहार, लोकतंत्र पर हमला है।: समाजसेवी सिद्दीकी ने यह भी कहा कि सरकार को चाहिए कि अभद्र भाषा और विवादित बयानों पर तत्काल रोक लगाने के लिए कड़े कानून और सख्त कार्यवाही की प्रक्रिया अपनाए। ताकि कोई भी व्यक्ति अपने पद या संगठन की आड़ में महिलाओं के प्रति असभ्य आचरण न कर सके। आवाज उठाना जरूरी है: यह मामला केवल सांसद इकरा हसन का नहीं है, बल्कि हर उस महिला का है जो समाज में सम्मान की हकदार है। आज जरूरत है कि जनता जागे, अपने संवैधानिक अधिकारों को समझे और ऐसे बयानों के खिलाफ सख्त सामाजिक और कानूनी प्रतिकार करे। यह लड़ाई नारी सम्मान की है। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी जरूरी है, मगर उसके नाम पर महिलाओं का अपमान—यह हरगिज़ बर्दाश्त नहीं। अब समय है कि समाज मिलकर कहे—महिलाओं के सम्मान से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त लगाम लगे!"

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