प्राइम भारत न्यूज
न्यूज डेस्क _ उस्मान चौधरी
मशीनें बार-बार हो रही खराब, मरीजों को निजी सेंटर जाने की मजबूरी
बाराबंकी। जिला अस्पताल में किडनी मरीजों के लिए संचालित डायलिसिस यूनिट में अव्यवस्थाएं इस कदर हावी हैं कि अब यह सेवा जीवन रक्षक कम, परेशानी बढ़ाने वाली ज्यादा साबित हो रही है। मशीनें या तो खराब हैं या बार-बार दिक्कत देती हैं, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा।जानकारी के अनुसार अस्पताल में कुल 8 डायलिसिस मशीनें हैं, जिनमें से अधिकांश समय-समय पर तकनीकी खराबी से जूझती रहती हैं। इनका संचालन एक निजी एजेंसी — संजीवनी कंपनी द्वारा किया जा रहा है, लेकिन तकनीकी टीम की लापरवाही और मशीनों की अनदेखी मरीजों पर भारी पड़ रही है। मरीजों की हालत गंभीर, खर्च उठा पाना मुश्किल अस्पताल में जब सेवा नहीं मिलती, तो मरीजों को मजबूरी में निजी सेंटरों का रुख करना पड़ता है। वहां एक बार की डायलिसिस पर तीन से पांच हजार रुपये तक का खर्च आता है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के लिए यह बेहद कठिन है।
👉 व्यवस्था भी बेहाल
डायलिसिस यूनिट के भीतर पंखा, एसी और वेंटिलेशन जैसी मूलभूत सुविधाएं भी ठीक से उपलब्ध नहीं हैं। कई बार मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है, और जब नंबर आता है तो मशीन खराब निकलती है।
👉 प्रशासनिक हस्तक्षेप की दरकार
बार-बार शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। अस्पताल स्टाफ भी कई बार तकनीकी टीम की लापरवाही को लेकर नाराजगी जता चुका है। ऐसे में सवाल उठता है कि जिम्मेदार अधिकारी कब तक आंखें मूंदे रहेंगे?
अब जरूरत है कि जिलाधिकारी स्वयं मामले का संज्ञान लें, और डायलिसिस यूनिट की कार्यप्रणाली की समीक्षा करें।
यह सिर्फ एक व्यवस्था की बात नहीं, बल्कि उन सैकड़ों मरीजों के जीवन से जुड़ा मुद्दा है, जो हर हफ्ते इसी यूनिट पर आश्रित हैं।

No comments:
Post a Comment