प्राइम भारत न्यूज
न्यूज डेस्क _ ऋषभ सैनी
मजीठा मेले में सेवा की जगह सलूक में दिखा 'हिटलरी अंदाज़', दरोगा और महिला सिपाही पर गम्भीर आरोप, श्रद्धा को अपमान में बदलने वाली घटना से उठा पुलिस पर भरोसे का सवाल
बाराबंकी। जनपद के सतरिख थाना क्षेत्र स्थित प्रसिद्ध मजीठा नाग देवता मंदिर में सावन के मेले के दौरान पुलिस व्यवस्था तैनात तो की गई थी श्रद्धालुओं की सेवा के लिए, मगर एक महिला श्रद्धालु के साथ जो कुछ हुआ, उसने पुलिस के आचरण पर गहरे प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पीड़िता महिला का आरोप है कि जब वह शिकायत दर्ज कराने गई, तो दरोगा ने उससे न सिर्फ गाली-गलौज की, बल्कि मारपीट तक पर उतर आए। वहीं महिला कांस्टेबल पर चेन गायब करने का आरोप लगा है। महिला ने बताया कि कांस्टेबल ने पहले गले से पल्लू हटवाकर पूछा कि चेन सोने की है या नहीं, और फिर साड़ी में बांधने के बहाने चुपचाप गायब कर दी।
इस घटनाक्रम से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में पीड़िता की व्यथा और पुलिस का रूखा व्यवहार साफ देखा जा सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर जैसे पवित्र स्थल पर पुलिस का ऐसा व्यवहार न केवल महिला सम्मान के खिलाफ है, बल्कि धार्मिक आस्था को भी ठेस पहुंचाता है।
जनपद के आला अधिकारी जैसे जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक, जहाँ लोगों की समस्याएं शालीनता और संवेदनशीलता से सुनते और समाधान करते हैं, वहीं ऐसे पुलिसकर्मी उस सकारात्मक छवि को धूमिल कर रहे हैं। मजीठा मेले की ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियों को यह सिखाना चाहिए कि जनता के साथ व्यवहार कैसे किया जाता है। दरअसल, कुछ वर्दीधारी अब हिटलरी सोच लेकर अपने पद का उपयोग नहीं, दुरुपयोग कर रहे हैं। लोगों का प्रश्न पूछना उन्हें अपनी "शान में गुस्ताखी" लगने लगा है, और जवाब में मिलता है अमर्यादित भाषा और दमन। ये रवैया लोकतंत्र में नहीं, तानाशाही में होता है – और इसपर तुरंत अंकुश लगाया जाना चाहिए। एक तरफ सरकार महिला सशक्तिकरण और पुलिस सुधार की बात करती है, वहीं दूसरी ओर मेले में श्रद्धालुओं को सुरक्षा देने के बजाय डर दिया जा रहा है। अगर ऐसे मामलों में कार्रवाई नहीं हुई तो यह न केवल पुलिस की छवि को, बल्कि प्रशासन की नीयत को भी कटघरे में लाएगा।

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